दिले-नादां तुझे हुआ क्या है
आखिर इस दर्द की दवा क्या है
-गालिब
नाजुकी उन लबों की क्या कहिए पंखुड़ी एक गुलाब की सी है
मीर उन नीमबाज आंखों में सारी मस्ती शराब की सी है
-मीर
तुम मेरे पास होते हो गोया
तुम मेरे पास होते हो गोया
जब कोई दूसरा नहीं होता
-मोमिन
कितना है बदनसीब जफर दफ्न के लिए
दो गज जमीन भी न मिली कू-ए-यार में
-जफर
दोपहर की धूप में मेरे बुलाने के लिए
कितना है बदनसीब जफर दफ्न के लिए
दो गज जमीन भी न मिली कू-ए-यार में
-जफर
दोपहर की धूप में मेरे बुलाने के लिए
वो तेरा कोठे पे नंगे पांव आना याद है
-हसरत जयपुरी
कहां तो तै था चिरागां हरेक घर के लिए
कहां तो तै था चिरागां हरेक घर के लिए
कहां चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए
-दुष्यंत कुमार
घर लौट के मां-बाप रोएंगे अकेले में
घर लौट के मां-बाप रोएंगे अकेले में
मिट्टी के खिलौने भी सस्ते न थे मेले में
-कैसर उल जाफरी
बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यों नहीं जाता
बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यों नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुजर क्यों नहीं जाता
-निदा फाजली
लहू न हो तो कलम तर्जुमां नहीं होता
लहू न हो तो कलम तर्जुमां नहीं होता
हमारे दौर में आंसू जवां नहीं होता
वसीम सदियों की आंखों से देखिए मुझको
वसीम सदियों की आंखों से देखिए मुझको
वो लफ्ज हूं जो कभी दास्तां नहीं होता
-वसीम बरेलवी
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूं, तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है
-कुमार विश्वास
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूं, तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है
-कुमार विश्वास
Share the post and show your love
Comment which one you like